Tuesday, November 11, 2008

...कहां गया हेलीकॉप्टर

रेड कोरिडोर बनाने का सपना देख रहे नक्सलियों ने पूरी तरह से छत्त्ाीसगढ़ को अपने कब्जे में ले रखा है। प्रदेश के बड़े इलाके में सुरक्षाकर्मी जाने से कतराते हैं। तभी तो बस्तर के आकाश से डेढ़ महीने पहले गायब हुआ रैन एयर (रैन बैक्सी गु्रप से संबद्ध) हेलीकॉप्टर को ढूंढ़ने में सुरक्षा बल पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। उसमें पायलट, सहायक पायलट, एक-एक इंजीनियर व तकनीिश्ायन सवार थे।
छत्त्ाीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा अभियान छेड़ रखा है। इसमें सीआरपीएफ, सीएएफ, एसटीएफ के साथ ही एसपीओ को मिलाकर 12,600 जवान लगाये गये हैं। उसकी टोह में राज्य सरकार ने किराये पर पांच हेलीकॉप्टर ले रखा है। पुलिस व वायु सेना के जवान हेलीकॉप्टरों से अबतक 150 किलोमीटर की उड़ानें भर चुके हैं। इस अभियान में चार एयर बस भी लगाये गये हैं। 30 थाना क्षेत्रों में रेड अलर्ट घोषित किया गया है। फिर भी अबतक नतीजा सिफर ही रहा है। इस बाबत पुलिस प्रमुख विश्व रंजन का कहना है कि बारिश व खराब माैसम की वजह से विजिविलिटी (नजर आने वाली दूरी) 20 फीट से अधिक नहीं है। इसी वजह से हेलीकॉप्टर ढूंढ़ने में सफलता नहीं मिल पा रही है।
हैदराबाद से जगदलपुर आ रहा रैन एयर हेलीकॉप्टर बेल-430 तीन अगस्त को 4.30 बजे उड़ान भरा था। बताया जाता है कि 16 नाटिकल माइल्स (60 किलोमीटर) उड़ान भरने के बाद उसका वायुयान मार्ग नियंत्रण (एटीसी) से संपर्क भंग हो गया। इसे जगदलपुर से इंर्धन लेकर छत्त्ाीसगढ़ के गृहमंत्री रामविचार नेताम को लेने अंबिकापुर जाना था।
इस अभियान में लगे सुरक्षाकर्मियों को आशंका है कि हेलीकॉप्टर आंध्रप्रदेश-छत्त्ाीसगढ़ की सीमा पर या इससे लगे बस्तर के जंगलों में नक्सलियों के पास पहुंच गया है। शायद इसीलिए तलाशी की जद्दोजहद उसी इलाके में चल रही है। यह इलाका जंगलों-पहाड़ों से घिरा है आैर संयोग से नक्सलियों की गिरफ्त में है। हालांकि रिमोट सेंसिंग उपकरण ने संभावित जिन दो स्थलों को चिह्नित किया है उनमें से एक पर नक्सलियों के स्मारक मिले हैं जबकि दूसरी जगह पर ट्रैक्टर व पुलिस की जेसीबी। पुलिस महानिदेशक का कहना है कि हेलीकॉप्टर उड़ान भ्ारने के समय से ही नार्मल फ्लाइट पाथ यानी खम्मम, भद्राचलम आैर कोंटा होकर उड़ा ही नहीं। पायलट ने जंगलों, पहाड़ों वाला सीधा रास्ता अपनाया। उधर, मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने पुलिस अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है आैर हेलीकॉप्टर को ढूंढ़ने में दुनिया की सबसे उच्च्ास्तरीय तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया है।
18,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में छेड़े गये अभियान की सफलता सिर्फ इतनी ही है कि यह क्षेत्र सिकुड़कर 8,000 वर्ग किलोमीटर रह गया है। इस दाैरान नक्सलियों के साथ सुरक्षाकर्मियों का छह-सात बार मुठभेड़ हो चुकी है। दर्जनभर पुलिसकर्मियों ने शहादत भी दी है। 5 सितंबर को सुबह करीब 10.30 बजे छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में नक्सलियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई जिसमें तीन सीआरपीएफ व दो जिला पुलिस के जवान शहीद हो गये। इसका नेतृत्व बलरामपुर एसपी स्वयं कर रहे थे। पुलिस को इस बात की जानकारी मिली थी कि झारखंड सीमा से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर सामरी इलाके में नक्सलियों का कैंप चल रहा है उसमें करीब सौ नक्सली मौजूद हैं।
दूसरी ओर, गायब हुआ हेलीकॉप्टर नक्सलियों के कब्जे में ही है, ऐसा दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता। फिर भी हेलीकॉप्टर समेत गायब पायलट व अन्य चार लोगों को ढूंढ़ने की विनती उनके परिजनों ने नक्सलियों से की है। हेलीकॉप्टर में पायलट बीपी सिंह, सहायक पायलट कैप्टन आरके गाैर, इंजीनियर संतोष सिंह व तकनीिश्ायन अिश्वनी कुमार सवार थे।
उनके परिजनों ने नक्सलियों से मार्मिक अपील करते हुए निवेदन किया है कि उन लोगों से चार परिवारों का रोजी-रोटी जुड़ा हुआ है। इसलिए इंसानियत का ख्याल रखते हुए इस असमंजस की िस्थति से उबारने का प्रयास किया जाय। परिजनों का कहना है कि पुलिस दुर्गम जंगली इलाकोंं में नक्सलियों के डर से जाने से कतरा रही है।
नक्सलियों के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा अभियान
क्षेत्रफल-18,000 वर्ग किलोमीटर
जवान-12,600
कुल उड़ानें-100 घंटे
इस्तेमाल हेलीकॉप्टर-पांच (एयर फोर्स समेत)
इस्तेमाल एयर बस-चार
थाने अलर्ट-30

No comments: