Sunday, March 1, 2009

छूटे घुमते उपद्रवी

हिंदू भावनाओं को उभारकर सत्तासीन होने की बेचैनी भाजपा के लिए नयी बात नहीं है। यह बेचैनी दक्षिणी राज्य कर्नाटक में भी दिखनी शुरू हो गयी है। लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचाने को व्याकुल भगवा ब्रिगेड ने इसकी जिम्मेवारी नवोदित चरमपंथी संगठन श्रीराम सेना को दी है। कमोबेश यही काम बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, शिव सेना, मनसे समेत अन्य दूसरे हिंदूवादी संगठन भी करते रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व श्रीराम सेना ने पहले मेंगलूर के बालमत्ता रोड स्थित एक पब में आतंक मचाया और दर्जनभर हिंदू लड़कियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। फिर कुछ दिनों के बाद केरल के सीपीएम विधायक सी.एच.के. कुन्हांभू की बेटी को सिर्फ इसलिए घंटों बंधक बनाये रखा क्योंकि वह अपने एक अल्पसंख्यक दोस्त (मुस्लिम) के साथ बस में यात्रा कर रही थी। इससे सेना की वहशी मानसिकता ही छलकती है। ये दोनों उदाहरण तो बानगी मात्र हैं। श्रीराम सेना का आतंक सूबे के छोटे कस्बों और गांवों तक पहुंच गया है। आश्चर्य तो यह कि तथाकथित राष्ट्रवादियों ने प्यार पर ही पहरा लगा दिया है।
एटीएस से मिली जानकारी के अनुसार हिंदू राष्ट्र की कल्पना को साकार करने के लिए सेना ने 1,132 आत्मघाती दस्ते तैयार कर रखे हैं जिनका काम सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना और हिंदू आतंकवाद को हवा देना है। सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक का संबंध अभिवन भारत नामक संगठन के साथ ही मालेगांव विस्फोट के आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत दर्जनों चरमपंथियों से भी है, जिनकी योजना 2025 तक देश को हिंदू राष्ट्र में तब्दील करने की है। संस्कृति के इन ठेकेदारों ने पब के बहाने गंगा-यमुनी संस्कृति के साथ-साथ महिलाओं की आजादी और आधुनिकता का भी विरोध किया है। ये कैसे "रामभक्त' हैं जो पश्चिमी संस्कृति से मुक्ति के नाम पर कहीं महिलाओं पर हमला करते हैं तो कहीं मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को भड़काते हैं जबकि आम धारणा है कि स्वयं भगवान राम शाप से मुक्ति के लिए अहिल्याबाई के पास पैदल पहुंचे थे। श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने अपनी कार्रवाईयों से साबित कर दिया है कि तालिबानीकरण सिर्फ किसी जाति या संप्रदाय तक ही सीमित नहीं है। भारतीय जनता पार्टी गुजरात के बाद कर्नाटक को हिंदुत्व का दूसरा प्रयोगशाला बना देना चाहती है। इसी के मद्देनजर उसकी तैयारी भी चल रही है। वैसे तो इसकी सुगबुगाहट 2005 में ही शुरू हो गयी थी जब सूबे के विभिन्न हिस्सों में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे और गो-हत्या रोकने को लेकर सत्ता संरक्षित बवाल करवाया गया था। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भगवा ब्रिगेड को यह भरोसा है कि कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की सीटें ही केंद्र में भाजपा को सत्ता दिला सकती है। इसी विश्वास के साथ वेंकैया नायडू ने अपनी विजय संकल्प यात्रा के दौरान कहा, "दक्षिण के 132 सीटें केंद्रीय सत्ता की कुंजी है जिसे हर हाल में हासिल करना है।' लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह कहते हैं, "हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के दिमाग में संघ और भाजपा का अजीब डर बैठ गया है और तथ्यों की पुष्टि के बिना ही आरोप शुरू कर देते हैं।'
दरअसल श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक का भाजपा की मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से गहरा संबंध रहा है। संघ के सूत्रों का कहना है कि मुतालिक 1975 से 2004 तक आरएसएस का सक्रिय सदस्य था। संघ के पदाधिकारियों ने उसकी कतर्व्यनिष्ठा को देखते हुए 2004 में दक्षिण भारत (कर्नाटक) में बजरंग दल का संयोजक बनाया। गत विधानसभा चुनाव में उसने भाजपा का जमकर सहयोग किया। 28 अगस्त, 2005 में वह शिव सेना से जुड़ा। सितंबर, 2008 में राष्ट्र रक्षक सेना के साथ ही श्रीराम सेना का भी गठन किया। वैसे तो आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस बात से इंकार किया है कि प्रमोद मुतालिक का संघ से कोई संबंध है और श्रीराम सेना उसका जेबी संगठन है। लेकिन इस बात का जवाब मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा समेत भाजपा के शीर्ष नेताओं के पास है कि आखिर किस तरह वह प्रदेश के 11 जिलों की पुलिस की नजर में वांछित होने के बावजूद खुलेआम कानून को चुनौती देता फिर रहा है। यही नहीं, सूबे के विभिन्न जिलों में मुतालिक पर 45 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। देश में भगवा ब्रिगेड की हरकतों के बारे में गृहमंत्री पी.चिदंबरम कहते हैं, "श्रीराम सेना देश के लिए खतरा है और केंद्र सरकार इस संगठन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है।'

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